ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती,
सब कुछ मिल जाता है लेकिन माँ नहीं मिलती,
माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते,
खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती |

लिपट कर

लिपट कर

लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैं,
यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते हैं ।